⚖️ सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी अस्पताल से नवजात शिशु की चोरी होती है, तो उस अस्पताल का लाइसेंस तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। Divya Himachal
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कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय नवजात बच्चों की तस्करी के गिरोहों के बारे में जानकारी लेते हुए दिल्ली पुलिस से पूछा कि ऐसे गिरोहों से निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। Jansatta+1Divya Himachal+1
🏥 अस्पतालों की जिम्मेदारी
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सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों को चेतावनी दी कि नवजात शिशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है, और किसी भी लापरवाही के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा। Navbharat Times
👶 बच्चों की तस्करी का मामला
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एक मामले में, उत्तर प्रदेश में एक नवजात शिशु को 4 लाख रुपये में एक दंपति को बेचा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा आरोपियों को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करते हुए इसे लापरवाहीपूर्ण करार दिया। Divya Himachal
📜 राज्यों के लिए दिशा-निर्देश
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सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि बाल तस्करी के मामलों की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी की जाए और इन मामलों की निगरानी उच्च न्यायालयों द्वारा की जाए। indiatv.in
📅 अगली सुनवाई
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल 2025 को निर्धारित की है। Divya Himachal
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सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की तस्करी पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की तस्करी (Child Trafficking) के मामले में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि “बच्चों को कहीं से भी ढूंढकर लाएं”, और इस गंभीर मामले में पुलिस की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मामले की मुख्य बातें:
- सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया।
- दिल्ली पुलिस से पूछा कि क्यों नहीं रोकी जा रही बच्चों की अवैध तस्करी?
- कोर्ट ने CBI या विशेष जांच टीम के गठन का भी संकेत दिया।
- बच्चों के गायब होने और बाल मजदूरी, यौन शोषण, अंग तस्करी जैसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई चाही।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियाँ:
- “यह एक राष्ट्रीय शर्म की बात है!” – बच्चों की तस्करी पर चिंता जाहिर की।
- “पुलिस को सिर्फ FIR दर्ज करके नहीं बैठना चाहिए, तस्करों के नेटवर्क को तोड़ो!”
- “अगर जरूरत पड़ी, तो देशभर के एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स को शामिल किया जाए।”
क्या हो सकता है आगे?
- दिल्ली पुलिस को 48 घंटे के अंदर एक्शन प्लान पेश करना होगा।
- NCPCR (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) को भी जांच में शामिल किया जा सकता है।
- तस्करी के किंगपिन्स की पहचान और उन पर POCSO व एससी/एसटी एक्ट के तहत केस बनाने का निर्देश।
बाल तस्करी के आँकड़े (NCRB 2022 के अनुसार):
- भारत में हर साल 1 लाख से ज्यादा बच्चे गायब होते हैं।
- इनमें से केवल 30-40% बच्चे ही वापस मिल पाते हैं।
- दिल्ली-एनसीआर, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में सबसे ज्यादा केस।
क्या करें अगर बच्चा गुम हो जाए?
- तुरंत पुलिस में FIR दर्ज कराएं।
- 1098 (CHILDLINE) या 112 (एमरजेंसी) पर कॉल करें।
- NCPCR की वेबसाइट (https://ncpcr.gov.in/) पर शिकायत दर्ज करें।
यह मामला अगली सुनवाई तक चलेगा, और सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा।