भारत ने रूस के पारंपरिक ग्राहकों को टारगेट करते हुए रक्षा उपकरणों के लिए सस्ते लोन की पेशकश शुरू की – जानिए क्या है रणनीति?
भारत ने वैश्विक रक्षा बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए सस्ते ऋण (cheap loans) देने की योजना शुरू की है। यह पहल विशेष रूप से उन देशों को लक्षित करती है जो ऐतिहासिक रूप से रूस से हथियार आयात करते आए हैं। यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच रूसी रक्षा निर्यात में आई गिरावट का फायदा उठाकर भारत अपने ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिश में है। आइए जानते हैं कैसे यह कदम भारत को रक्षा निर्यात में गेम-चेंजर बना सकता है।
क्यों शुरू की गई यह योजना?
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, भारत वियतनाम, आर्मेनिया, अफ्रीकी देशों और दक्षिण पूर्व एशिया के रूसी-समर्थक राष्ट्रों को लो-इंटरेस्ट लोन देगा, ताकि वे भारतीय निर्मित हथियार खरीद सकें। इसका मकसद रूस के पारंपरिक बाजारों में घुसकर भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करना है।
किन उत्पादों पर फोकस?
- ब्रह्मोस मिसाइल (वियतनाम और फिलीपींस में डिमांड)
- तेजस लड़ाकू विमान और प्रागति यूएवी
- अस्त्र मिसाइलें और रडार सिस्टम
- हल्के हेलिकॉप्टर (ALH) और तोपखाने के गोला-बारूद
रूस पर क्यों है निशाना?
यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी हथियारों की सप्लाई चेन टूटी है, और पश्चिमी प्रतिबंधों ने उसके निर्यात को 50% तक गिरा दिया है। ऐसे में, भारत की यह पहल उन देशों के लिए विकल्प बन सकती है जो सस्ते, टिकाऊ, और राजनीतिक रूप से निरपेक्ष हथियार चाहते हैं।
भारत को क्या फायदा?
- रक्षा निर्यात बढ़ाकर 2025 तक $5 बिलियन का लक्ष्य
- रूस और चीन के प्रभुत्व वाले बाजारों में एंट्री
- रक्षा उद्योग में स्वदेशीकरण (Atmanirbhar Bharat) को बढ़ावा
- दुनिया में ‘रिलायबल सप्लायर’ की इमेज बनाना
-
India offers cheap loans for arms, targeting Russia’s traditional customers
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
रक्षा विश्लेषक जय शंकर के मुताबिक, “भारत की यह रणनीति दोहरी जीत है। एक तरफ, हम रूस पर निर्भरता कम कर रहे हैं, दूसरी ओर अपने उत्पादों का वैश्विक बाजार तैयार कर रहे हैं।”
चुनौतियां क्या हैं?
- चीन की ऋण-जाल (Debt Trap) नीति से तुलना का खतरा
- रूसी दबाव और राजनीतिक विरोध
- भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरना
SEO Keywords: भारत रक्षा ऋण योजना, रूस से हथियार खरीद, ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात, मेक इन इंडिया डिफेंस, सस्ते लोन पर हथियार, वैश्विक रक्षा बाजार, भारत-रूस प्रतिस्पर्धा, तेजस विमान निर्यात।
भारत की यह पहल क्या वैश्विक रक्षा बाजार में रूस-चीन की दुकानदारी को चुनौती दे पाएगी? कमेंट में बताएं!