कैसे रोकेगा भारत पाकिस्तान को सिंधु नदी पानी?

“एक बूंद भी नहीं…” – कैसे रोकेगा भारत पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी?

भारत सरकार ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty, 1960) के तहत मिले अधिकारों का पूरा उपयोग करने का फैसला किया है, ताकि पाकिस्तान को मिलने वाले पानी पर नियंत्रण किया जा सके। हाल के वर्षों में आतंकवाद को समर्थन देने के पाकिस्तान के रवैये के जवाब में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।


भारत की क्या योजना है?

  1. तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) का पूरा उपयोग:

    • संधि के अनुसार, भारत इन नदियों के पानी का 100% उपयोग कर सकता है, लेकिन अब तक पूरी क्षमता का दोहन नहीं हुआ।

    • नए बांधों और जलाशयों के निर्माण से भारत पाकिस्तान जाने वाले “अनवांटेड वॉटर” को रोक सकता है।

  2. पश्चिमी नदियों (सिंधु, चेनाब, झेलम) पर प्रोजेक्ट्स:

    • भारत इन नदियों पर हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स बना सकता है, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाले पानी की मात्रा और समयावधि नियंत्रित होगी।

    • किशनगंगा और रातले बांध पहले से ही इसी रणनीति का हिस्सा हैं।

  3. जल संचयन और भूमिगत जल का उपयोग:

    • जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देकर पानी की बर्बादी रोकी जाएगी।


क्या यह रणनीति काम करेगी?

  • हाँ, क्योंकि:

    • पाकिस्तान की कृषि और पनबिजली उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा।

    • भारत को अपने किसानों और ऊर्जा जरूरतों के लिए अधिक पानी मिलेगा।

  • लेकिन चुनौतियाँ भी हैं:

    • पाकिस्तान विश्व बैंक या अंतरराष्ट्रीय अदालत में शिकायत कर सकता है।

    • जलवायु परिवर्तन और बारिश में कमी से लंबे समय में भारत को भी नुकसान हो सकता है।


पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

  • पाकिस्तान पहले ही किशनगंगा बांध को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विरोध जता चुका है।

  • अगर भारत पानी रोकता है, तो पाकिस्तान “जल युद्ध” (Water War) की धमकी दे सकता है।


क्या भारत संधि तोड़ेगा?

  • नहीं, भारत संधि को रद्द नहीं करेगा, बल्कि उसके प्रावधानों का पूरा फायदा उठाएगा

  • 2016 के उरी हमले के बाद PM मोदी ने कहा था – “रक्त और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते।”


अंतिम विश्लेषण

यह कदम भारत की “दबाव बनाने” (Coercive Diplomacy) की रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान अगर आतंकवाद का रास्ता छोड़े, तो भारत पानी का प्रवाह बनाए रख सकता है।

आपकी राय?

सिंधु जल समझौता: भारत-पाकिस्तान संबंधों की एक अहम कड़ी - BBC News हिंदी

पहल्गाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सिंधु नदी प्रणाली से जल प्रवाह रोकने की योजना बनाई है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने घोषणा की कि भारत ने “एक भी बूंद पानी पाकिस्तान को न देने” के लिए तीन-स्तरीय रणनीति तैयार की है।


🇮🇳 भारत की तीन-स्तरीय योजना:

  1. तत्काल (शॉर्ट-टर्म) उपाय:

    • नदियों की सफाई (डिसिल्टिंग) और जल प्रवाह को मोड़ने के लिए आवश्यक कार्य किए जाएंगे। इससे पाकिस्तान में जल प्रवाह को तुरंत कम किया जा सकेगा।

  2. मध्यम अवधि (मिड-टर्म) रणनीति:

    • जल भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए बांधों और जलाशयों का निर्माण किया जाएगा। इससे भारत को अधिक जल संग्रह करने की सुविधा मिलेगी।

  3. दीर्घकालिक (लॉन्ग-टर्म) योजना:

    • सिंधु जल संधि के प्रावधानों का पुनः मूल्यांकन किया जाएगा और भारत को अपने जल संसाधनों के उपयोग के लिए अधिक स्वतंत्रता प्राप्त होगी।


📜 सिंधु जल संधि का निलंबन:

भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को “अस्थायी रूप से निलंबित” कर दिया है, जिससे पाकिस्तान को जल प्रवाह की जानकारी साझा करने और नई परियोजनाओं की पूर्व सूचना देने की बाध्यता समाप्त हो गई है। इससे भारत को बिना पाकिस्तान की सहमति के जल परियोजनाएं शुरू करने की अनुमति मिलती है।


⚠️ पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:

पाकिस्तान ने भारत की इस कार्रवाई को “युद्ध का कार्य” करार दिया है और चेतावनी दी है कि जल प्रवाह में किसी भी प्रकार की रुकावट से क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है।


🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों ने दोनों देशों से संयम बरतने और मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की अपील की है।


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“दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें 40 से अधिक भारतीय अर्धसैनिक बलों के जवान शहीद हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।

UNSC के वक्तव्य में कहा गया:

“सुरक्षा परिषद के सदस्य जम्मू और कश्मीर में हुए इस घृणित और कायराना आत्मघाती हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं, जिसमें 40 से अधिक भारतीय अर्धसैनिक बलों के जवान मारे गए और कई घायल हुए।”

सुरक्षा परिषद ने इस हमले के दोषियों, योजनाकारों, वित्तपोषकों और समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया और सभी देशों से भारत सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ सक्रिय सहयोग करने का आग्रह किया।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की।

यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और न्याय सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता का संकेत है।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने जम्मू और कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी 2019 को हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा की है, जिसमें 40 से अधिक भारतीय अर्धसैनिक बलों के जवान मारे गए और दर्जनों घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।

UNSC ने इस “घृणित और कायराना” हमले की निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद के सभी रूप और अभिव्यक्तियाँ अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। परिषद ने इस बात पर जोर दिया कि इन “निंदनीय आतंकवादी कृत्यों” के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। सभी सदस्य देशों से आग्रह किया गया कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत भारत सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ सक्रिय सहयोग करें।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है और आतंकवादी कृत्यों के अपराधियों को शीघ्र न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए।

🔗 संबंधित स्रोत:

यदि आप इस विषय पर और जानकारी या विश्लेषण चाहते हैं, तो कृपया बताएं।

चौकीदार के कटघरे में अदालत | TODAY JUNOON - YouTube

“दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए”: UN सुरक्षा परिषद ने जम्मू-कश्मीर हमले पर क्या कहा?

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने जम्मू-कश्मीर के पूनच जिले में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है, जिसमें भारतीय सेना के चार जवान शहीद हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन Lashkar-e-Taiba (LeT) ने ली थी।

UNSC की प्रतिक्रिया के मुख्य बिंदे:

  1. हमले की निंदा: UNSC ने इसे “घृणित आतंकवादी हमला” बताया और शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

  2. दोषियों को सजा: परिषद ने जोर देकर कहा कि “इस हमले के दोषियों को न्याय के सामने लाया जाना चाहिए।”

  3. आतंकवाद की आलोचना: UNSC ने कहा कि आतंकवाद किसी भी रूप में “अस्वीकार्य और अमानवीय” है।

  4. पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष दबाव: हालांकि पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया, लेकिन LeT जैसे संगठनों को पनाह देने वाले देशों पर यह संदेश स्पष्ट था।

भारत और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:

  • भारत ने UNSC के बयान का स्वागत किया और कहा कि यह “पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद” को उजागर करता है।

  • पाकिस्तान ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अतीत में वह ऐसे आरोपों से इनकार करता रहा है।

क्या यह बयान महत्वपूर्ण है?

  • हाँ, क्योंकि UNSC ने स्पष्ट रूप से आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को मान्यता दी है।

  • लेकिन, अभी तक कोई ठोस कार्रवाई (जैसे पाकिस्तान पर प्रतिबंध) नहीं हुई है।

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