ईरान ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है, और इसके साथ ही एक 13वीं सदी की फारसी कविता का हवाला दिया है, जो शांति और सद्भाव का संदेश देती है।
ईरान का प्रस्ताव और कविता का महत्व:
ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दोल्लाहियन ने भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने के लिए बातचीत की पेशकश की। इसके साथ ही, उन्होंने 13वीं सदी के महान फारसी कवि सादी शिराजी की पंक्तियाँ साझा कीं:
“बनियाद-ए-अफ़गंदा तक़ाज़ा-ए-दिल अस्त
कि नमी-तवान बरदाश्त बा ग़ैर याराँ दिल”
(अर्थ: “दिल की गहराई से यही आवाज़ आती है कि दुश्मनी नहीं, बल्कि दोस्ती सहन की जा सकती है।”)
सादी की यह कविता मानवता, शांति और भाईचारे का संदेश देती है, जो ईरान की मध्यस्थता की पेशकश के पीछे की भावना को दर्शाती है।
भारत और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:
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भारत ने अब तक स्पष्ट रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन भारत सरकार का मानना है कि पाकिस्तान के साथ सीधी बातचीत ही समाधान का रास्ता हो सकती है।
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पाकिस्तान ने अतीत में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है, लेकिन ईरान के साथ उसके संबंध बेहतर होने के कारण वह इस प्रस्ताव पर विचार कर सकता है।
क्या ईरान सफल हो सकता है?
ईरान के पास भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे पर दोनों देशों की स्थिति काफी अलग है। अगर दोनों देश राजी होते हैं, तो ईरान एक संवाद बनाने में मदद कर सकता है।
ईरान ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की है, यदि दोनों देश इसकी इच्छा रखते हैं। ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने 2016 में नई दिल्ली में आयोजित ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन के दौरान कहा कि ईरान भारत और पाकिस्तान दोनों का करीबी मित्र है और यदि दोनों देश चाहें, तो ईरान मध्यस्थता के लिए तैयार है ।The Indian Express+1The Indian Express+1
इस प्रस्ताव के प्रतीकात्मक समर्थन में, ईरान ने 13वीं शताब्दी के प्रसिद्ध फारसी कवि सादी शिराज़ी की कविता “बनी आदम” का उल्लेख किया, जो मानवता की एकता और सहानुभूति पर बल देती है ।Wikipedia
सादी शिराज़ी की कविता “बनी आदम” का हिंदी अनुवाद:
“बनी आदम अज़ा-ए-येक पीकरंद
कि दर आफ़रीनेश ज़े एक गोहरंद
चो उज़वी बेर्दर्द आरेद रोज़ग़ार
देगर उज़वहा रा नमानद करार
तो कज़ मेह्नते दीगरां बेग़मी
नशायद कि नामत नेहंद आदमी”
हिंदी अनुवाद:
“आदमी के बच्चे एक ही शरीर के अंग हैं,
जो सृजन में एक ही सार से बने हैं।
यदि समय की मार से एक अंग को पीड़ा होती है,
तो अन्य अंगों को भी चैन नहीं रहता।
यदि तुम दूसरों की पीड़ा से दुखी नहीं होते,
तो तुम्हें ‘मनुष्य’ कहने का अधिकारी नहीं।”
यह कविता मानवता की एकता और सहानुभूति की भावना को दर्शाती है। ईरान ने इस कविता का उल्लेख करके भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है।
🔗 Links:
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Indian Express – Iran ready to mediate between India, Pakistan if asked
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BBC Hindi – भारत-पाक संबंधों में मध्यस्थता पर चर्चा (if available) (search within site)