हाल ही में इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में एक दुर्लभ और अभूतपूर्व सर्जरी हुई, जिसे मेडिकल साइंस का चमत्कार कहा जा सकता है। इस प्रक्रिया में गर्भवती महिला लूसी के गर्भाशय को अस्थायी रूप से बाहर निकालकर, फिर वापस शरीर में प्रत्यारोपित किया गया, जिससे उनके बच्चे का सुरक्षित जन्म संभव हो सका।NDTV+1Mediawala+1
🩺 सर्जरी की पृष्ठभूमि
लूसी को गर्भावस्था के दौरान अंडाशयों में कैंसर कोशिकाओं की पहचान हुई। डॉक्टरों ने बताया कि कैंसर की जांच और उपचार के लिए गर्भाशय को अस्थायी रूप से शरीर से बाहर निकालना आवश्यक था। इस प्रक्रिया के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे को भी सुरक्षित रखना चुनौतीपूर्ण था।Mediawala+1NDTV+1YouTube
👶 दो बार जन्म का चमत्कार
सर्जरी के दौरान, डॉक्टरों ने गर्भाशय को बाहर निकालकर कैंसर की जांच की और फिर गर्भाशय को वापस शरीर में प्रत्यारोपित किया। इस प्रक्रिया के बाद, लूसी ने जनवरी 2025 में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। इस घटना को “एक ही बच्चे का दो बार जन्म” कहा जा रहा है, जो मेडिकल साइंस की एक अद्वितीय उपलब्धि है।आज तक+2NDTV+2Mediawala+2
🌟 चिकित्सा विज्ञान की नई ऊंचाई
यह सर्जरी न केवल लूसी और उनके बच्चे के लिए जीवनदायिनी साबित हुई, बल्कि यह चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि भी है। इससे यह साबित होता है कि आधुनिक चिकित्सा तकनीकें जटिल परिस्थितियों में भी समाधान प्रदान कर सकती हैं।
📚 स्रोत
यह मेडिकल साइंस का एक अद्भुत चमत्कार है, जिसमें “फीटल सर्जरी” या “एक्स-यूटेरो इंट्रापार्टम ट्रीटमेंट (EXIT)” प्रक्रिया का उपयोग किया गया। इस तकनीक के तहत गर्भ में पल रहे शिशु को मां के पेट से अस्थायी रूप से बाहर निकालकर जरूरी सर्जरी की जाती है और फिर उसे वापस गर्भाशय में रख दिया जाता है, ताकि वह फिर से विकास प्रक्रिया जारी रख सके।
यह कैसे संभव हुआ?
- गर्भ से बाहर निकालना: डॉक्टरों ने सीज़ेरियन प्रक्रिया की तरह मां के पेट को खोलकर गर्भाशय तक पहुंच बनाई और शिशु को बाहर निकाला, जबकि नाल (प्लेसेंटा) और गर्भनाल (अम्बिलिकल कॉर्ड) को जुड़ा रहने दिया।
- आवश्यक सर्जरी: बच्चे को ऑक्सीजन और पोषण मिलता रहे, इसके लिए विशेष उपकरणों की मदद से उसकी जानलेवा समस्या (जैसे फेफड़ों या दिल की गंभीर बीमारी) का इलाज किया गया।
- वापस गर्भ में रखना: सर्जरी के बाद शिशु को वापस गर्भाशय में रखकर मां के पेट को सील कर दिया गया, ताकि गर्भावस्था आगे बढ़ सके और बच्चा पूर्ण विकसित होकर जन्म ले सके।
ऐसा क्यों किया जाता है?
- जन्मजात गंभीर विकृतियों (जैसे स्पाइना बिफिडा, हृदय दोष) का इलाज करने के लिए।
- शिशु के जीवित रहने की संभावना बढ़ाने के लिए, क्योंकि गर्भ के बाहर उसका विकास रुक जाता।
- समय से पहले जन्म (प्रीमैच्योर) के जोखिम को कम करने के लिए।
यह प्रक्रिया कितनी सुरक्षित है?
यह एक हाई-रिस्क सर्जरी है और केवल कुछ चुनिंदा मामलों में ही की जाती है। सफलता दर मामले और मेडिकल टीम की विशेषज्ञता पर निर्भर करती है। अमेरिका और यूरोप के कुछ अस्पतालों में ऐसी प्रक्रियाएं की गई हैं, जिनमें बच्चों का सामान्य विकास हुआ।
भारत में क्या स्थिति है?
भारत में भी कुछ उन्नत मेडिकल सेंटर्स (जैसे AIIMS, मणिपाल हॉस्पिटल) में ऐसी तकनीकें उपलब्ध हैं, लेकिन यह अभी दुर्लभ है।
यह मेडिकल साइंस की एक अविश्वसनीय उपलब्धि है, जो जटिल जन्मजात समस्याओं का समाधान करने में मदद करती है!