अमेरिका ने हाल ही में चीन से आयातित स्टील और एल्युमिनियम पर 104% टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। यह कदम चीन के साथ व्यापार संघर्ष को और तेज कर सकता है, लेकिन इसका असर सिर्फ अमेरिका-चीन तक सीमित नहीं रहेगा। भारत समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
भारत पर प्रभाव: फायदे और नुकसान
1. भारतीय निर्यात को फायदा?
- अमेरिका अब चीनी स्टील और एल्युमिनियम पर निर्भरता कम करेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों (जैसे टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू) को नए बाजार मिल सकते हैं।
- फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में भी भारत चीन का विकल्प बन सकता है।
2. चीनी माल की भरमार से खतरा?
- चीन अपना सस्ता सामान अब अन्य देशों (जैसे भारत, यूरोप) में डंप कर सकता है, जिससे भारतीय उद्योगों (विशेषकर MSMEs) को नुकसान हो सकता है।
- सरकार को सतर्क रहना होगा ताकि चीनी डंपिंग से बचा जा सके।
3. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उथल-पुथल
- अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से कच्चे माल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर भारतीय निर्माताओं पर पड़ेगा।
दुनिया के लिए मायने
- वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ सकती है क्योंकि टैरिफ से सामान महंगा होगा।
- यूरोप और जापान जैसे देश भी चीन पर निर्भरता कम करने के लिए नई नीतियाँ बना सकते हैं।
- भारत के लिए अवसर: अगर वह “China+1” रणनीति का फायदा उठाकर विनिर्माण और निर्यात बढ़ाता है, तो वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अहम भूमिका निभा सकता है।
निष्कर्ष: भारत को क्या करना चाहिए?
- निर्यात बढ़ाने पर फोकस: अमेरिका और यूरोप में चीनी उत्पादों की कमी को भरने का मौका।
- डंपिंग रोकने के उपाय: चीन से सस्ते आयात पर सख्त निगरानी।
- आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम: प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता जरूरी।
-
1. अमेरिका ने चीन पर क्यों लगाया इतना ऊँचा टैरिफ?
- संरक्षणवाद (Protectionism): अमेरिका अपने घरेलू उद्योगों (खासकर इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, स्टील) को चीनी सस्ते माल से बचाना चाहता है।
- राजनीतिक दबाव: चीन के साथ टेक्नोलॉजी और व्यापार युद्ध (Tech-Trade War) जारी है।
- निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का आरोप: अमेरिका का दावा है कि चीन सब्सिडी और डंपिंग से बाजार को विकृत करता है।
2. भारत पर क्या असर पड़ेगा?
✅ फायदे:
- निर्यात बढ़ने का मौका:
- अमेरिका अब भारतीय सामान (फार्मा, इलेक्ट्रिक वाहन, कपड़ा) को प्राथमिकता दे सकता है।
- उदाहरण: Apple, Samsung जैसी कंपनियाँ चीन की जगह भारत में उत्पादन बढ़ा सकती हैं।
- विनिर्माण (Manufacturing) को बढ़ावा:
- PLI योजना (Production Linked Incentive) के तहत भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भर बन सकता है।
- चीन पर निर्भरता घटेगी:
- अमेरिका और यूरोप “चीन+1” रणनीति अपना रहे हैं, जिससे भारत को निवेश और ऑर्डर मिलेंगे।
❌ नुकसान:
- महंगा हो सकता है आयात:
- भारत चीन से इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट, केमिकल, मशीनरी आयात करता है। अगर चीन का माल महंगा होगा, तो भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ेगी।
- वैश्विक मंदी का खतरा:
- अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से दुनिया की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है, जिससे भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा।
3. दुनिया के लिए क्या मायने?
- यूरोप और जापान भी चीन पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं।
- वियतनाम, मैक्सिको, भारत जैसे देश अमेरिका के नए व्यापार साझेदार बन सकते हैं।
- कच्चे माल (रियर अर्थ मेटल्स) की कीमतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि चीन दुर्लभ खनिजों का बड़ा उत्पादक है।
4. भारत को क्या करना चाहिए?
- अमेरिका और यूरोप के साथ FTA (मुक्त व्यापार समझौते) को तेजी से पूरा करना।
- रुपये में व्यापार (Rupee Trade) को बढ़ावा देकर डॉलर पर निर्भरता कम करना।
- सेमीकंडक्टर, लिथियम बैटरी, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में निवेश बढ़ाना।
-
📰 अमेरिका-चीन टैरिफ और वैश्विक प्रभाव:
🇮🇳 भारत पर प्रभाव और अवसर:
- Can India Benefit from US-China Trade War? (The Hindu)
- PLI Scheme & Manufacturing Push (Economic Times)
🚗 इलेक्ट्रिक वाहन और सेमीकंडक्टर:
💱 रुपये में व्यापार: