राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों

राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों और कार्यशैली पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने न केवल धनखड़ पर राज्यसभा में “पक्षपाती रवैया” अपनाने का आरोप लगाया, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी की “शाही परिवार” वाली टिप्पणी पर भी इंदिरा गांधी का हवाला देकर पलटवार किया।


🔹 क्या कहा कपिल सिब्बल ने?

➡️ “जो बचपन से सिखाया गया, वो याद रखिए… देश ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भारत के लिए बलिदान देते देखा है।”

➡️ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का कांग्रेस के ‘शाही परिवार’ पर हमला अनुचित है। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है, यह कोई शाही विरासत नहीं बल्कि त्याग और सेवा की मिसाल है।

➡️ सिब्बल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उस टिप्पणी की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की आपराधिक कानूनों पर टिप्पणी को खारिज किया था।

➡️ उन्होंने यह भी कहा कि धनखड़ सदन की कार्यवाही में बार-बार दखल देते हैं, जिससे संसदीय गरिमा प्रभावित हो रही है।


🔹 आरएसएस पर भी हमला:

➡️ सिब्बल ने धनखड़ द्वारा RSS को “निर्दोष साख वाला संगठन” कहे जाने पर कहा कि राज्यसभा के सभापति को निष्पक्ष रहना चाहिए, न कि किसी राजनीतिक संगठन की वकालत करनी चाहिए।


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कपिल सिब्बल ने कांग्रेस को दिया एक और झटका, सपा से राज्यसभा के लिए ...

कपिल सिबल का जगदीप धनखड़ को “इंदिरा गांधी” जवाब – पूरा विवाद समझें

मुख्य विवाद:

  1. शुरुआत: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल के भाषण में “राष्ट्रपति के पद की गरिमा” पर टिप्पणी की
  2. सिबल का जवाब: कांग्रेस नेता कपिल सिबल ने इंदिरा गांधी युग का उदाहरण देकर जवाब दिया
  3. चर्चित वाक्य: सिबल ने कहा – “जो इतिहास भूल जाते हैं…” (संवैधानिक परंपराओं को नज़रअंदाज़ करने का इशारा)

राजनीतिक संदर्भ:

  • 1975 का आपातकाल: इंदिरा गांधी के समय राष्ट्रपति के अधिकारों vs सरकार की सलाह पर विवाद हुआ था
  • मौजूदा तनाव: मोदी सरकार और विपक्ष के बीच संस्थानों की स्वतंत्रता को लेकर चल रही बहस
  • संवैधानिक मुद्दा: क्या राष्ट्रपति को सरकार की सलाह माननी अनिवार्य है?

 


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क्यों है यह बहस महत्वपूर्ण?

  • यह विवाद भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 (राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद संबंध) पर केंद्रित है
  • इंदिरा गांधी के समय राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल लागू करने पर सरकार की सलाह मानी थी
  • आज विपक्ष का आरोप है कि राष्ट्रपति का पद राजनीतिक दबाव में है

आपको और क्या जानना चाहिए?

  1. क्या सिबल का इंदिरा गांधी उदाहरण सही था?
  2. क्या राष्ट्रपति वास्तव में सरकार की सलाह ठुकरा सकते हैं?
  3. 1975 और 2024 के हालात में क्या समानताएं हैं?

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