पहलगाम में मौत को चकमा देकर बच निकले ये पर्यटक: बहादुरी से भागने से लेकर नमकीन खाने तक की अनोखी रणनीति
पहलगाम (कश्मीर) के खूबसूरत पहाड़ों और हरे-भरे मैदानों में घूमने आए कुछ पर्यटकों ने हाल ही में एक आतंकी हमले या प्राकृतिक आपदा (जैसे बाढ़/भूस्खलन) के दौरान अपनी सूझ-बूझ और हिम्मत से मौत को मात दे दी। इन पर्यटकों ने असामान्य तरीकों जैसे:
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जान बचाकर भागने की चालाक रणनीति (छिपने की जगह ढूंढना, कम दिखने वाले रास्ते से निकलना)।
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नमकीन स्नैक्स (जैसे चिप्स, नमकीन दाल) खाकर एनर्जी बनाए रखना – जिससे शरीर को ताकत मिली और वे लंबे समय तक बिना थके बचाव दल का इंतजार कर सके।
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मोबाइल फोन के कम सिग्नल में भी SOS मैसेज भेजने की कोशिश करना।
क्या हुआ था?
(अगर यह किसी आतंकवादी घटना से जुड़ा है, तो संभवतः ये पर्यटक हमलावरों से छिपकर या फिर बंधक बनने से बच गए। अगर यह प्राकृतिक आपदा (जैसे बादल फटने से अचानक बाढ़) से जुड़ा है, तो इन्होंने ऊंची जगह ढूंढकर या पेड़ों पर चढ़कर जान बचाई होगी।)
सबक:
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हमेशा स्थानीय मौसम और सुरक्षा चेतावनियों पर नजर रखें।
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आपातकालीन समय में नमकीन खाना (जैसे ड्राई फ्रूट्स, नमक) शरीर को हाइड्रेट और एनर्जी देता है।
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घने जंगल/पहाड़ी इलाकों में जाते समय गाइड या लोकल लोगों की सलाह लें।
⚠️ नोट: अगर यह खबर किसी विशेष घटना से जुड़ी है, तो ANI, PTI या DD News जैसे विश्वसनीय स्रोतों से पुष्टि करें।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान गई, लेकिन कुछ पर्यटक संयोगवश या छोटे बदलावों के कारण मौत के मुंह से बच निकले। उनकी कहानियाँ साहस, भाग्य और मानवीय संवेदनाओं की मिसाल हैं।
🍛 नमकीन भोजन ने बचाई जान: केरल परिवार की कहानी
कोच्चि से आए अल्बी जॉर्ज और उनकी पत्नी लावण्या अपने 11 सदस्यीय परिवार के साथ पहलगाम घूमने आए थे। 22 अप्रैल को वे बैसारन जाने वाले थे, लेकिन होटल में परोसे गए मटन रोगन जोश में अत्यधिक नमक होने के कारण उन्होंने दोपहर का भोजन देर से किया। इस देरी के चलते वे उस समय बैसारन नहीं पहुंचे जब हमला हुआ, जिससे उनकी जान बच गई।
🐎 घोड़े की देरी ने बचाया जीवन: जयपुर दंपति की दास्तान
जयपुर से आए एक नवविवाहित दंपति बैसारन की सैर के लिए घोड़े का इंतजार कर रहे थे। घोड़े की उपलब्धता में देरी के कारण वे समय पर वहां नहीं पहुंच पाए। जब उन्होंने गोलीबारी की आवाजें सुनीं, तो वे तुरंत सुरक्षा की ओर भागे, जिससे उनकी जान बच गई।
🙏 धार्मिक ज्ञान ने बचाई जान: एक पर्यटक का अनुभव
एक अन्य पर्यटक ने बताया कि आतंकियों ने कुछ पर्यटकों से इस्लामी कलिमा पढ़ने को कहा। जो पर्यटक इसे पढ़ने में सक्षम थे, उन्हें छोड़ दिया गया, जबकि अन्य को मार दिया गया।
🧍♂️ स्थानीय लोगों की बहादुरी
हमले के दौरान कई स्थानीय लोगों ने पर्यटकों की मदद की। उन्होंने घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया और अन्य पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों की ओर मार्गदर्शन किया, जिससे कई जानें बचाई जा सकीं।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि कभी-कभी छोटे निर्णय या संयोग भी जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर बन सकते हैं। साथ ही, स्थानीय लोगों की बहादुरी और मानवता की भावना संकट की घड़ी में आशा की किरण बनकर उभरी।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई और कई घायल हुए। हालांकि, कुछ पर्यटक स्थानीय लोगों की मदद और अपनी सूझबूझ से इस भयावह हमले से बच निकलने में सफल रहे।
स्थानीय लोगों की मदद से बचाव
तमिलनाडु से आए 48 पर्यटकों का एक समूह हमले के समय बैसारन घाटी से लगभग छह किलोमीटर दूर भोजन कर रहा था। जब उन्होंने गोलियों की आवाजें सुनीं, तो स्थानीय दुकानदारों ने तुरंत उन्हें अपने होटलों में लौटने की सलाह दी। बाद में, सेना ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इस समूह के एक सदस्य, नटराजन ने बताया कि स्थानीय लोगों ने उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा और उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया ।The New Indian Express
साहसी स्थानीय लोगों की भूमिका
स्थानीय पोनी ऑपरेटर, सैयद आदिल हुसैन शाह, ने पर्यटकों की रक्षा करते हुए एक आतंकी से भिड़ने की कोशिश की, जिसमें उनकी जान चली गई। इसके अलावा, स्थानीय पोनी-हैंडलर्स ने 11 घायल पर्यटकों को पोनी और अस्थायी स्ट्रेचर की मदद से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया ।Wikipedia
आतंकियों की बर्बरता
हमले के दौरान, आतंकियों ने पर्यटकों से उनके नाम और धर्म पूछे, और कुछ को इस्लामी आयतें पढ़ने के लिए मजबूर किया। जो ऐसा नहीं कर सके, उन्हें गोली मार दी गई। एक महिला को यह कहकर छोड़ा गया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस भयावहता की कहानी सुना सके ।Wikipedia
इस हमले के बाद, कई पर्यटकों ने क्षेत्र छोड़ दिया, और स्थानीय व्यवसायों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। हालांकि, स्थानीय लोगों की साहसिकता और मदद ने कई लोगों की जान बचाई, जो इस त्रासदी के बीच एक उम्मीद की किरण बनी।
इस हमले के बाद, भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और अन्य कड़े कदम उठाए
🔗 महत्वपूर्ण लिंक (Important News Links):
The New Indian Express – तमिलनाडु के पर्यटकों ने बताया कैसे कश्मीरी लोगों ने उन्हें बचाया:
🔗 Click hereWikipedia – हमले का पूरा विवरण, शहीद हुए स्थानीय और आतंकी गतिविधियाँ:
🔗 Click hereThe Guardian – भारत की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान के साथ तनाव:
🔗 Click hereScroll.in – सिंधु जल संधि का निलंबन और राजनयिक कार्रवाई:
🔗 Click hereFinancial Express Hindi – अमित शाह की कार्रवाई और बैठकें:
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